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મિત્રો, અત્રે પ્રસ્તુત છે એક સુંદર યુગલ ગીત, જેમાં મને સાથ આપ્યો છે, ” સ્વરતરંગ ” સભ્ય મિત્ર શ્રી જતીન ભાઈએ…
ગીતનું ઓડિયો-વિડીયો રૂપાંતર પણ એમણે જ કર્યું છે. આશા છે આપને ગમશે..
ફિલ્મ છે ‘રાત ઔર દિન’ (1967), સંગીતકાર છે શંકર જયકિશનજી,ને શબ્દો છે શૈલેન્દ્રજીનાં ! મૂળ ગાયક કલાકારો છે,લતાજી અને મન્નાડે જી !
दिल की गिराह खोल दो, चुप ना बैठो, कोइ गीत गाओ
महफील मे अब कौन है अजनबी, तुम मेरे पास आओ
मिलाने दो अब दिल से दिल को, मिटने दो मजबूरीयो को
शीशे मे अपने डुबो दो, सब फासलो दूरियो को
आखो मे मै मुसकुराऊ तुम्हारे जो तुम मुस्कुराओ
हम तुम ना हम तुन रहे अब कुछ और ही हो गए अब
सपनो के ज़िलामिल नगर मे, जाने कहा खो गए अब
हमराह पूछे किसी से ना तुम अपनी मंजिल बताओ
कल हम से पूछे ना कोइ, क्या हो गया था तुम्हे कल
मुड़कर नही देखते हम दिल ने कहा है चला चल
जो दूर पीछे कही रह गए, अब उन्हे मत बुलाओ
महफील मे अब कौन है अजनबी, तुम मेरे पास आओ
दिल की गिराह खोल दो, चुप ना बैठो, कोइ गीत गाओ
महफील मे अब कौन है अजनबी, तुम मेरे पास आओ
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2 Responses to Dil ki Girah…(સૂર-સાધના)
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