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આ ચોપાઈ માં શ્રી જસપાલ સિંઘનો સુમધુર સ્વર એક્દમ કર્ણ પ્રિય લાગે છે..
સાથે એવુ જ સૂરીલું સંગીત મનમાં ભક્તિ ભાવ ઉત્પન્ન કરી રહ્યું છે..!
मंगल भवन अमंगल हारी
द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी
राम सिया राम सिया राम जय जय राम – २
हो, होइहै वही जो राम रचि राखा
को करे तरफ़ बढ़ाए साखा
हो, धीरज धरम मित्र अरु नारी
आपद काल परखिये चारी
हो, जेहिके जेहि पर सत्य सनेहू
सो तेहि मिलय न कछु सन्देहू
हो, जाकी रही भावना जैसी
रघु मूरति देखी तिन तैसी
रघुकुल रीत सदा चली आई
प्राण जाए पर वचन न जाई
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
हो, हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता
कहहि सुनहि बहुविधि सब संता
राम सिया राम सिया राम जय जय राम
3 Responses to Choupaai…
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