આજે સમન્વય અને મમ્મીનાં જન્મદિને પ્રસ્તુત છે, એમનુ એક્દમ પ્રિય ગીત..! ફિલ્મ ‘કાશ્મીર કી કલી’ નું આ ગીત રફીજી તથા આશાજી એ ગાયેલું.. બચપણમાં ઘણી વાર આ ગીત મમ્મીનાં મધૂર સ્વરમાં સાંભળેલ. આજે મેં પણ ગાવાની કોશીશ કરી છે અને જેમાં મને સાથ આપ્યો છે સ્વરતરંગ મિત્ર શ્રીઆનિલભાઈરાઉતે, જેઓ સારા ગીટાર પ્લેયર પણ છે. ગીતનું ઓડિયો મિક્ષ નિકીતા શાહ રાઉતે કરેલ છે, જયારે વિડીયો મિક્ષ મેં કર્યું છે.!.
इशारों इशारों में दिल लेनेवाले
बता ये हुनर तूने सिखा कहाँ से
निगाहों निगाहों में जादू चलाना
मेरी जान सिखा है तुमने जहाँ से
मेरे दिल को तुम भा गए, मेरी क्या थी इस में खता
मुझे जिसने तडपा दिया, यही थी वो जालिम अदा
ये रांझा की बातें, ये मजनू के किस्से
अलग तो नहीं हैं मेरी दास्ताँ से
मोहब्बत जो करते हैं वो मोहब्बत जताते नहीं
धड़कने अपने दिल की कभी, किसी को सुनाते नहीं
मज़ा क्या रहा जब के खुद कर दिया हो
मोहब्बत का इज़हार अपनी जुबां से
माना के जान-ए-जहां लाखों में तुम एक हो
हमारी निगाहों की भी कुछ तो मगर दाद दो
बहारों को भी नाज़ जिस फूल पर था
वही फूल हम ने चुना गुलसिता से
इशारों इशारों में दिल लेनेवाले
बता ये हुनर तूने सिखा कहाँ से
निगाहों निगाहों में जादू चलाना
मेरी जान सिखा है तुमने जहाँ से
बता ये हुनर तूने सिखा कहाँ से
मेरी जान सिखा है तुमने जहाँ से
बता ये हुनर तूने सिखा कहाँ से..!
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5 Responses to Isharo Isharo me…(સૂર-સાધના)
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